समाग के बाद अब कोहरा रेलवे को तंग करने वाला है जिससे परेशानी ट्रेन में सफर करने वालो को भी होगी। जिसको लेकर उत्तर रेलवे ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। इस बार भी रेलवे के पास कोई नई तकनीक तो नही है लेकिन दावे जरुर किये जा रहे हैं इस बार कोहरे में यात्रियों को परेशान नही होने दिया जायेगा। इस बार भी रेलवे जीपीएस सिस्टम के सहारे ट्रेनों को धकेलने का काम करेगा।
रेलवे ने डे बाय डे तकनीक को बेहतर तो किया है लेकिन ट्रेनों को रफ्तार आज भी कोहरे में 60 से उपर नही जा पाती जिसकी वजह से ट्रेने लगातार देर या रद्द होती रहती है। जिसके कारण यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जीपीएस सिस्टम ट्रेन में रखने से ड्राईवर को सिर्फ सिग्नल का पता चलता है या ट्रेन कहाँ है इतना ही पता चल पाता ड्राईवर ट्रेन को इसके सहारे भगा नही सकता। ड्राईवर का कहना है कि इससे ज्यादा कुछ फायदा नही मिलता लेकिन सिग्नल बताने में यह मदद करता है जिससे ट्रेन का एक्सीडेंट नही होता।
सर्दियों के आने वाले कुछ महीने रेलवे को मौसम के हिसाब से काफी तंग करने वाले हैं। कोहरा हर बार ट्रेनों को रफ्तार पर प्रभाव डालता है जिसको लेकर रेलवे बड़े स्तर पर तैयारी करता है कभी ट्रेनों को संख्या कम करनी पडती है तो कभी पुराने ठर्रे पर सिस्टम को भगाना पड़ता है। इस बार भी रेलवे ने यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए कई कदम उठाने की बात कही है रेलवे ने दावा किया है कि इस बार यात्रियों को दिक्कत नही आने दी जाएगी। इस बार भी ट्रेने जीपीएस व पटाखा सिस्टम से आगे बढ़ेगी। रेलवे ने पिछले कुछ सालो से लोको पायलट की मदद के लिए जीपीएस सिस्टम दिए हैं ताकि कोहरे में सिग्नल पता जरुर चल जाये। अधिकारीयों का कहना है कि दुनिया में कोहरे का तौड तो कोई नही निकाल पाया लें यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए कई तरह के कदम उठाये जाते हैं इस बार भी जीपीएस के सहारे ट्रेने चलायी जाएँगी। रेलवे के अधिकारीयों ने कहा हर साल जितना देरी से ट्रेन पहुंचती है इस बार उतनी देरी से ट्रेन नही पहुंचेगी।
रेलवे ने डे बाय डे तकनीक को बेहतर तो किया है लेकिन ट्रेनों को रफ्तार आज भी कोहरे में 60 से उपर नही जा पाती जिसकी वजह से ट्रेने लगातार देर या रद्द होती रहती है। जिसके कारण यात्रियों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जीपीएस सिस्टम ट्रेन में रखने से ड्राईवर को सिर्फ सिग्नल का पता चलता है या ट्रेन कहाँ है इतना ही पता चल पाता ड्राईवर ट्रेन को इसके सहारे भगा नही सकता। ड्राईवर का कहना है कि इससे ज्यादा कुछ फायदा नही मिलता लेकिन सिग्नल बताने में यह मदद करता है जिससे ट्रेन का एक्सीडेंट नही होता।
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