अंबाला में एक इंसानी शव नरकंकाल में तब्दील हो गया । गाव नगला में अंबाला सहारनपुर रेल ट्रैक के किनारे लगभग एक हफ्ते तक लाश सड़ती रही जिसकी सुध वक्त पर लेना रेल प्रशासन ने भी मुनासिब नही समझा। हालांकि मामला मीडिया में उछलने के बाद अब रेलवे महकमा हरकत में तो आ गया है। सड़े गले शव को जीआरपी ने कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए शव को अस्पताल में रखवा दिया है और मृतक की जेब मे से मिले पर्स और दस्तावेजों के आधार पर उसके परिजनों की तलाश शुरू कर दी है।
अंबाला सहारनपुर रेल ट्रैक के किनारे बसे साहा खण्ड के गाव नगला में रैलट्रैक के किनारे लाश की शक्ल में हुई इंसानियत की हत्या ने समाज को शर्मसार करने का काम कर दिया है। प्रत्यक्षदर्शियों की माने तो देखने मे यह इंसानी शव लगभग 8 से 10 दिन पुराना लग रहा है। यहां से सैंकड़ो रेलगाड़िया सरपट दौड़ती हुई निकल गईं और इतने ही लोग राहगीर यहां साथ गुजरती सड़क से निकलते रहे परन्तु किसी ने भी इस ओर झांकना तक भी मुनासिब नही समझा। गाँव वालों की माने तो शव से जब बदबू उठी तो इसके बारे में रेलवे के अधिकारियों को सूचना दी गई। परन्तु सुबह की दी सूचना पर रात को महकमा हरकत में आया।जीआरपी के जवान रात को रैलट्रैक के किनारे शव को ढूंढने तो आये परन्तु खाली हाथ वापिस लौट गए। अगली सुबह रेलवे पुलिस को शव रैलट्रैक के किनारे पड़ा हुआ मिला। ये मानवता की हत्या का जीता जागता प्रमाण है।
रैल ट्रैक के किनारे मिले सड़े गले इंसानी जिस्म के वारिसों का पुलिस पता लगाने का प्रयास कर रही है। जीआरपी ने रैलट्रैक के किनारों से लेकर आसपास के खेतों तक की खाक छान मारी ताकि इसकी मौत के राज का कोई सुराग हाथ लग सके। नरकंकाल के रूप में तब्दील हो चुकी लाश के कपड़ो से पुलिस को एक पर्स मिला है जिसमे से कुछ दस्तावेज मिले हैं जिनके आधार पर पुलिस इस अनजान मृतक के परिवार वालों तक पहुंचने की कोषिष जारी है। मौत की उलझी कड़ियों को सुलझाने के लिए पुलिस इस मामले में फोरेंसिक विशेषज्ञों की भी मदद लेगी।
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