अंबाला के एयरफोर्स स्टेशन में स्थित नागा पीर बाबा की समाधि का आज गेट खोला गया। एयरफोर्स स्टेशन में बनी इस समाधि का गेट साल में एक बार ही खोला जाता है और सुरक्षा के पूरे इतंजाम किये जाते हैं। समाधि तक कैमरा ले जाने की अनुमति किसी को भी नही होती। ऐसा सुरक्षा को देखते हुए किया जाता है कुछ दिन पहले तक एयरफोर्स स्टेशन के गेट खोले जाने पर असमंंजस बना हुआ था परंतु रक्षा मंत्रालय की हरी झंडी के बाद आज दरवाजे खोले गये।
सालाना मेले को लेकर कई दिन पहले ही तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। पुलिस और एयरफोर्स, सेना, इंटेलीजेंस समेत सभी सुरक्षा एजेंसियां हाइअलर्ट पर थीं। चप्पे चप्पे पर पुलिस तैनात थी। बताया जाता है कि एयरफोर्स स्टेशन में जिस जगह नागा पीर बाबा की समाधि है वह काफी अतिसंवेदनशील क्षेत्र है। इसी कारण मेले को लेकर सुरक्षा एजेंसियां भी हाइअलर्ट पर रहती हैं। हरियाणा के अलावा दिल्ली, उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, चंडीगढ़ और पंजाब से भी श्रद्धालू यहां माथा टेकने के लिए पहुंचे।
अंबाला एयरफोर्स स्टेशन के साथ लगते गांव धूलकोट की सीमा के नजदीक नागा पीर बाबा की समाधि है। समाधि में जाने के लिए साल में एक बार एयरफोर्स स्टेशन का गेट खोला जाता है। मान्यता है कि एक बार धुलकोट गांव में एक फकीर बाबा आए थे और उनके साथ एक काले रंग का कुत्ता भी था। गांव के लोगों ने उस बाबा को ऐसा वैसा व्यक्ति समझकर उसे वहां से पत्थर मारकर भगाने का प्रयास किया था। उसी दौरान गांव में तेज बारिश के साथ भयंकर तूफान आ गया। जिसके बाद गांव वालों ने बाबा से माफी मांगी और उनके लिए वहां एक कुटिया बनाकर दी । इसके बाद बाबा ने गांव में सूखे पड़े कुएं को पानी से भरकर चमत्कार कर दिया था। ये भी बताया जाता है कि बाबा पहले जिस गांव को छोड़कर आए थे वहां से उनके आने के बाद वहां भयंकर आपदा आ गई थी। यहां आने के कुछ समय बाद बाबा ने यहीं अपनी देह त्याग दी थी। जब गांव के लोग बाबा का शव दफना रहे थे उसी दौरान उनके साथ रहने वाले कुत्ते ने भी उस गड्ढे में छलांग लगाकर जान अपनी दे दी थी। गांव के लोगों ने यहां बाबा की दरगाह के साथ ही उनके कुत्ते की भी एक दरगाह यहां बना दी। तब से लेकर आज तक हर साल यहां फरवरी के दूसरे रविवार को श्रद्धा का मेला लगता है और कई राज्यों से लाखों की तादाद में लोग यहां माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं।
यहां आने वाले लोगों की मान्यता है कि नागा बाबा एयरफोर्स स्टेशन के भी रक्षक हैं। वायु सेना भी बाबा की आध्यात्मिक शक्ति के आगे नतमस्तक है। 1965 में जब पाकिस्तान ने देश पर हमला किया था तो उनकी वायुसेना ने अंबाला एयरफोर्स स्टेशन की हवाई पट्टी को भी उड़ाने के लिए यहां बमबारी की थी। लेकिन एक भी बम पट्टी पर न गिरकर सेनाक्षेत्र स्थित एक चर्च पर गिरा था। बाबा की दरगाह सेना के जहाज उड़ाने के लिए बनाई गई सफेद और पीली पट्टी के बीच बनी है जिस कारण पाकिस्तान का एक भी बम इस पट्टी या जहाज को नहीं छू सका था। तब से आज तक एयरफोर्स के अधिकारी भी बाबा के सामने नतमस्तक है। बाबा के चमत्कार के किस्से दूर दूर तक मशहूर हैं और यहां सच्चे मन से मांगी गई हर मुराद पूरी होती है।
लोगों के हुजूम को देखते हुए पुलिस और अन्य खूफिया ऐजेंसियां भी यहां बड़ी संख्या में तैनात रहीं। चप्पे चप्पे पर पुलिस लगी थी तो सादे कपड़ों में भी सुरक्षा कर्मी हर आने जाने वाले पर नजर रखे रहे। पुलिस और प्रशासन की मुस्तैदी के चलते मेले का आयोजन काफी सफल तरीके से चल रहा है।
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