Wednesday, 3 January 2018

समय रहते जल संरक्षण न अपनाया तो भावी पीढियों को पेयजल के लिए झेलनी पडेगी परेशानियां- आयुक्त ।

फव्वारा और टपका सिंचाई प्रणाली किसानों की पैदावार बढाने में सहायक- विवेक जोशी।

अम्बाला मंडल के आयुक्त विवेक जोशी ने आज गांव मलौर में हरियाणा नहरी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (काडा) द्वारा स्थापित सुक्ष्म सिंचाई पायलट परियोजना का उदघाटन किया। यह परियोजना काडा द्वारा 70 लाख रूपये की  लागत से स्थापित की गई है और इस परियोजना से किसान जसबीर सिंह मलौर सहित इस गांव के 20 किसानों की 138 एकड भूमि को सूक्ष्म सिंचाई सुविधा का लाभ मिलेगा। परियोजना के उदघाटन अवसर पर उपायुक्त
शरणदीप कौर बराड़, सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता राजीव बंसल, अधीक्षक अभियंता ए.के. रघुवंशी, सिंचाई विभाग के अधीक्षक अभियंता विनोद  कम्बोज, काडा के कार्यकारी अभियंता नीरज शर्मा, सिंचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता एस.के. गुप्ता, रविन्द्र त्यागी, जिला बागवानी अधिकारी डा0 हवा सिंह सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। 
उपस्थित किसानों को सम्बोधित करते हुए मंडलायुक्त ने कहा कि जल की बचत आज के समय की सबसे बडी मांग है। उन्होने कहा कि कृषि क्षेत्र में पानी की सबसे अधिक खपत होती है और फव्वारा व टपका सिंचाई जैसी आधुनिक तकनीक अपनाकर किसान न केवल 40 प्रतिशत तक जल की बचत कर सकते हैं बल्कि इससे प्रति एकड उत्पादन में भी वृद्धि होती है। उन्होने कहा कि प्रदेश में भूमि का जल स्तर निरंतर नीचे गिर रहा है और 105 विकास खंड जल स्तर के क्षेत्र में डार्क जोन में शामिल हो चुके हैं। उन्होने कहा कि निरंतर पानी की कमी होने से भावी पीढियों को पेयजल के लिए भारी परेशानियां झेलनी पडेंगी इसलिए अभी से जल संरक्षण की ओर सामुहिक प्रयास करने की आवश्यकता है। उन्होने किसानों को धान और गेहूं के फसल चक्र की बजाए बागवानी, फल व सब्जियों की कृषि तथा दलहन और तिलहन जैसी नगदी फसलें अपनाने के लिए भी प्रेरित किया है। 
इस अवसर पर काडा के मुख्य अभियंता राजीव बंसल ने बताया कि प्रदेश में पायलट प्रोजैक्ट के तहत 13 जिलों में सूक्ष्म सिंचाई की 14 परियोजनाएं स्थापित की जा रही हैं। उन्होने बताया कि पिहोवा में इस तरह की परियोजना का उदघाटन मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने किया था और जिस खेत में यह परियोजना लगाई गई है वह धान के उत्पादन में 12 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। उन्होने कहा कि अब से पहले ऐसी तीन परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी है और यह चौथी परियोजना है। मलौर गांव में यह परियोजना 70 लाख रूपये की लागत से स्थापित की गई है। इस परियोजना से गांव के छोटे-बडे 20 किसानों को सूक्ष्म सिंचाई योजना का लाभ मिलेगा। उन्होने बताया कि इस परियोजना के लिए विद्युत आपूर्ति की निर्भरता घटाने के लिए 16 किलोवाट का सौर उर्जा प्रोजैक्ट भी तैयार किया गया है और निर्बाध बिजली आपूर्ति के लिए इस परियोजना को हॉट लाईन से जोडा गया है। चार वर्ष तक इस परियोजना का रख-रखाव जैन इरिगेशन सिस्टम कंपनी द्वारा किया जायेगा और किसानों को फव्वारा सिंचाई परियोजना के माध्यम से सिंचाई करने, खाद डालने, फसलो की बीज-बिजाई व अन्य उपायों के बारे में भी जानकारी दी जायेगी। उन्होने बताया कि इससे न केवल पानी बल्कि खाद, बिजली व अन्य कृषि लागत की भी बचत होती है। 

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