महिला कुली का काम देख हैरान होते हैं लोग :
अंबाला रेलवे स्टेशन पर यात्रियों का सामान ढो रही यह महिला कोई और नहीं बल्कि महिला कुली है जो अपना वा अपनी तीन बेटियों का पेट पालने के लिए यह काम करने के लिए मजबूर हुई है। इस महिला कुली की माने तो पति की मौत के बाद इसे और कुछ नजर नहीं आया और मजबूरन इसे अपने पति के पुराने काम को ही अपनाना पड़ा। वही अंबाला रेलवे स्टेशन पर काम करने वाले अन्य कोई भी महिला होने के नाते भारी सामान में किसका हाथ बढ़ाते हैं और ट्रेन के डिब्बे से लेकर यात्री का सामान ढोने में इसकी खूब मदद करते हैं।
पति की मौत के बाद बढ़ी जिम्मेदारी :
कुली फिल्म की यह गाना " सारी दुनिया का बोझ हम उठाते हैं" बराड़ा की महिला शशि बाला पर सटीक बैठता है, जो अपने पति की आकस्मिक मौत के बाद उसी के बैच नंबर 14 पर कुली का काम करने के लिए निकल पड़ी है। उसका कहना है कि पति की मृत्यु के बाद मेहनत करने के अलावा उसके पास कोई चारा नहीं बचा था । पहले तो उसने हर जगह दर-दर की ठोकरें खाई और काम मांगने की कोशिश की लेकिन हर जगह से उसे मायूसी ही हाथ लगी। अंत में उसने मेहनत करने की ठानी और अपने पति के बैच नंबर 14 पर ही अंबाला कैंट रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने लग गई। इस महिला का कहना है कि इस काम में पहले तो उसे शर्म भी महसूस हुई लेकिन बाद में अपनी छोटी छोटी तीन बेटियों और अपना पेट पालने के लिए आखिर उसे यह काम करने पर मजबूर होना पड़ा । इसका कहना है कि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ की बात तो करती है लेकिन उसे इस नारे से कोई लेना-देना नहीं है वह लोगों का रोज बोझ उठाकर उससे मिलने वाले पैसे से अपना ओर अपने बच्चों का पेट पाल रही है।
यात्री करते हैं काम की तारीफ :
ट्रेन में अपना भारी सामान चलाने के लिए यह परिवार जब कोई कुली ढूंढ रहा था तो सामने महिला कुली को खड़ी देखकर उन्हें महसूस हुआ कि क्यों ना इस महिला कुली की मदद की जाए और इससे समानता आ जाए ताकि सामान उठाने के बाद से मिलने वाली गाड़ी से अपना पेट पाल सकें। इसी को देखते हुए उन्होंने इस महिला शशि और इसके साथी से अपना भारी सामान उठाकर रेलवे स्टेशन पर रखवाया । वही उनका कहना है कि सरकार यदि वास्तव में अपने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के नारे को साकार करना चाहती है तो इस प्रकार की महिलाओं की तहे दिल से मदद करें उन्हें आर्थिक सहायता के साथ-साथ नौकरी प्रदान करें और वही उनके बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करें जिससे ऐसी महिलाओं का कल्याण हो सकेगा।
कुली करते हैं काम में मदद :
वहीं कैंट रेलवे स्टेशन पर कुली का काम करने वाले अन्य कुली भी इस नई महिला कुली की खूब मदद करते हैं और उसे भारी सामान उठाने से लेकर रेलवे के डिब्बे तक का सफर तय करने में उसका साथ निभाते हैं। उनका कहना है कि सरकार केवल कागजों में ही बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अभियान को चला रही है जबकि असलियत में देखा जाए तो इस महिला को सरकार से कोई मदद नहीं मिली है और इसे अपना और अपने बच्चों का पेट पालने के लिए आखिरकार कुली का बैच लगाकर स्टेशन पर लोगों का सामान ढोने पर मजबूर होना पड़ा । इस काम में किसी भी सरकार सहित रेलवे ने भी इसकी कोई मदद नही की है । उनका यह भी कहना है कि सरकार को चाहिए कि ऐसी महिलाओं को अलग से आर्थिक मदद दे और इनके बच्चों को पढ़ाने और खाने का इंतजाम भी करें जिससे उनका बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ का नारा तभी सफल हो पाएगा।
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