Saturday, 28 July 2018

अंबाला गायों के रख रखाव में प्रशासन व सरकार भी फेल , सुल्लर गाँव की गोशाला में रोजाना मर रही गाय ।


               अंबाला के सुल्लर गांव की गोशाला में गायो की हालत काफी दयनीय है। गायो के चारे के लिए यदि कोई दान दे देता है तो उन्हें खाने के लिए चारा नसीब हो जाता है नही तो गायो को सूखे चारे से काम चलाना पड़ता है। जिसके चलते गाये काफी कमजोर हो गयी है और इन्ही कारणों के चलते रोजाना 2 से 3 गायो या गोवंशो की मौत हो रही है। डाक्टरों का कहना है कि उनके पास इलाज के लिए दवाएं तक नही है। 

   सुल्लर गांव की गोशाला में गायो की हालत बयाँ करती तस्वीर :




                  अंबाला के सुल्लर गांव की गोशाला गायों के लिए कब्रगाह की तरह हो गयी है। यहाँ गायो को खाने के लिए हरा चारा तक उपलब्ध नही हो पा रहा। प्रशासन का इस तरफ कोई ध्यान नही है जिससे रोजाना गोशाला में 2 से 3 गायो की मौत हो रही है। गोशाला के अंदर करीब 350 नंदी , बछड़े व गाय है जिसमे से करीब 20 गाय दुधारू हैं वो करीब 15 से 17 लिटर दूध एक समय में देती है। इस सब से गोशाला का खर्च नही निकल पाता। गोशाला में इस वक्त 7 लोग गायो की देखभाल कर रहे हैं जो नाकाफी है लेबर की कमी से गायो की केयर नही हो पा रही जिससे वे बीमार होकर दम तौड देती है। इसके इलावा 350 गायो के लिए रोजाना करीब 100 क्विंटल हरे चारे की रोजाना आवश्यकता होती है लेकिन 3 दिन में गोशाला को 40 क्विंटल हरा चारा ही मिल पाता है जिसे भी 3 दिन तक जैसे तैसे चलाया जाता है। हरा चारा भी गायो को प्रशासन से नही बल्कि कोई दानी सज्जन दान दे दे तो मिल जाता है नही तो काम राम भरोसे ही है। इस गोशाला को मैनेजर गुरतेज सिंह चलाते हैं क्यूंकि गोशाला की कमेटी के सदस्य हिम्मत हार कर इस्तीफा दे चुके हैं जिसके कारण 3 महीनों से लेबर को तनख्वाह भी नही मिली। उन्होंने बताया कि सिस्टम की कमी है 2 शैड बनाये गये हैं 1 ठीक है तो दुसरे में खुरली तक की व्यवस्था नही है। चारा नही मिल पाने से गाय कमजोर पड़ गयी है और रोजाना 2 से 3 गाय दम तौड देती हैं। 

             सुल्लर की गोशाला में आज भी 4 गाय बीमार है जो किसी भी वक्त दम तौड सकती है। गायो की देखभाल का जिम्मा डाक्टरों पर भी है लेकिन हाशिये पर दिखाई दे रहे पशुपालन विभाग के कारण यहाँ दवाए उपलब्ध नही हो पाती जो भी राम भरोसे ही है। यहाँ 2 डाक्टर लगाये तो गये हैं लेकिन वे एडिशनल चार्ज पर यहाँ है जिससे डाक्टर भी ज्यादा समय यहाँ नही दे पाते। डाक्टर रणजीत सिंह ने बताया कि यहाँ दौरे मंत्री विधायको के होते रहते हैं लेकिन सिस्टम नही बदल पाया। हरा चारा नही मिल पाटा मिल जाए तो उसे काटने के लिए लेबर नही है पहले 25 लोग थे लेकिन 3 महीनों से सेलरी नही मिली तो सब काम छोड़ गये अब 7 लोग ही बचे हैं। उन्होंने बताया यहाँ दवाओं की भी कमी है। 

          गोशाला को बनाया तो इसलिए गया था कि आवारा जानवरों को शेल्टर मिल सकेगा और उन्हें कत्लखानो में जाने से बचाया जा सकेगा लेकिन यह सब सोच तक ही सिमित रह गया और जिम्मेदारी किसी ने नही निभाई। जिसके कारण गाय गोशाला में भी मर रही है। 

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