Wednesday, 1 August 2018

अंबाला में जिला शिक्षा अधिकारी के खिलाफ भर्ती के मामलो में FIR दर्ज , जिला शिक्षा अधिकारी 15 अगस्त तक की छुट्टी पर गयी ।

                      अंबाला में शिक्षा विभाग के एक और फर्जीवाड़े पर कोर्ट को संज्ञान लेना पड़ा है।  20 साल पुराने मामले में अदालत के आदेशो पर पुलिस ने अंबाला की मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी व रिटायर्ड प्रिंसिपल के खिलाफ FIR दर्ज की है। आरोप है कि उस वक्त प्रेम बहल स्कूल प्रिंसिपल थी जो अब रिटायर हो चुकी है और मौजूदा जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा जो 1994 में स्कूल में टीचर थी उन्होंने चेह्तो की फर्जी दस्तावेजो पर भर्ती की थी और 1 पद पर 2 लोगो की सेलरी निकलवाई थी। 


शिक्षा विभाग के अधिकारियो का कारनामा :


                  अंबाला में शिक्षा विभाग के कई ऐसे कारनामे हैं जो बताते है कि यहाँ भ्रष्टाचार सालो से चर्म सीमा पर है सरकार की मंशा भी इन्हें ऐसा करने से रोक नही पाती। अंबाला शहर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में 1994 से लेकर 1998 तक फर्जी कागजात पर चहेतों को नौकरी देने मामले में कोर्ट के आदेशों पर रिटायर्ड प्रिंसिपल प्रेम बहल और डीईओ उमा शर्मा के खिलाफ बलदेव नगर पुलिस ने केस दर्ज कर लिया है। इस मामले को दर्ज होने में 20 साल का लम्बा समय लग गया।  इस मामले में शिकायत करने वाली भी शिक्षा विभाग की अधिकारी परमजीत शर्मा है। शिकायतकर्ता अधिकारी परमजीत शर्मा के अनुसार 1994 में नीलम शर्मा को चतुर्थ कर्मचारी पद पर लगाया गया, जबकि उनकी सास सरस्वती देवी भी उसी स्कूल में लगी हुई थी। नीलम को 1996 में रेगुलर कर दिया गया था। हैरानी की बात यह है कि सरस्वती देवी को छुट्टी पर भेज दिया गया था। दोनों कर्मचारियों की एक पद पर ही सैलरी निकालकर गड़बड़ी की गई। इन्होंने महिंद्रो देवी के नाम से किसी का पांचवीं का सर्टिफिकेट लगाया था, जबकि रोजगार कार्यालय में खुद को अनपढ़ दर्शाया। सर्विस बुक में भी गड़बड़ी मिली थी। 1995 में जगमोहन नाम के व्यक्ति अप्रैल में लगाया गया, जबकि रामकुमार माली पहले ही लगा हुआ था।  दीपचंद स्वीपर पद के लिए 1997 में लगाए गए। इनको बच्चों के पीटीआई फंड से लगाया गया। वहां पहले से ही श्यामा स्वीपर रखा हुआ था। इन्होंने खुद को अनपढ़ दर्शाया था। रोजगार कार्यालय में जन्मतिथि 1975 दिखाई गई और सर्विस बुक में 1968 कर दिया गया।  फरवरी 1998 में नसीब कौर को रखा गया। इन्होंने रोजगार कार्यालय में खुद को अनपढ़ दिखाया और एड्रेस गलत बताया। यह जनरल कैटेगरी की थी।   शिकायतकर्ता परमजीत शर्मा ने कहा कि 1994 से लेकर 1998 तक फर्जी कागजात पर भर्ती की गई। उस दौरान प्रेम बहल प्रिंसिपल थी, जबकि डीईओ उमा शर्मा लेक्चर थी। उमा शर्मा सलेक्शन कमेटी मेंबर थी। उन्होंने ने इन कर्मचारियों को भर्ती करने के लिए रिकमंड किया था, जबकि इन्हें प्रिंसिपल प्रेम बहल ने लगाया था। 

                        कब होगी जाँच पूरी यह सवाल है बड़ा :



                    इस मामले में कोर्ट ने संज्ञान लिया और पुलिस को मामला दर्ज करने के आदेश दिए जिसके बाद से जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा छुट्टी पर चल रही है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार उमा शर्मा 15 अगस्त तक की छुट्टी पर हैं। फ़िलहाल पुलिस ने इस मामले में कोर्ट के आदेशो के बाद FIR दर्ज कर जाँच शुरू कर दी है। 

ममला है हाईप्रोफाईल : 


                मामला काफी हाई प्रोफाईल है इसलिए पुलिस भी इस मामले में फूंक फूंक कर कदम रख रही है। सूत्रों की माने तो जिला शिक्षा अधिकारी उमा शर्मा रसूखदार परिवार से है और मैडम के एक रिश्तेदार हरियाणा पुलिस के सबसे बड़े पद से हाल ही में रिटायर भी हुए हैं। 

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