जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में अंबाला के तेपला गांव का रहने वाला 26 साल का लांस नायक विक्रमजित सिंह शहीद हो गया था। विक्रम की शहादत पर पूरे देश को गर्व है। हरियाणा सरकार ने भी शहीद के परिवार के दुःख को समझा और तुरंत 50 लाख रूपए शहीद के परिवार को आबंटित कर दिए। इस परिवार की सरकार से मांग सिर्फ़ इतनी है कि देश से आतंकवाद का सफाया होना चाहिए। लेकिन गांव के लोगो व युवाओ ने मांग रखी है कि गांव का मुख्य द्वार विक्रमजीत के नाम पर हो और विक्रम का स्टेचू गांव में लगाया जाये। इसके साथ गांव के स्टेडियम की हालत सुधारी जाये ताकि वहां ओर फौजी तैयार हो सके साथ ही अंबाला छावनी सिविल हस्पताल का नाम शहीद के नाम पर हो।
आज भी माँ को बेटे का सहारा :
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जम्मू कश्मीर के गुरेज सेक्टर में आतंकवादियों से मुठभेड़ में बीती 7 अगस्त को विक्रमजित सिंह शहीद हो गया। विक्रमजीत के जाने का दुःख परिवार व देश पूरी जिन्दगी नही भूल सकता। देश को विक्रम की शहादत पर गर्व है। विक्रम की शहादत से परिवार दुखी जरुर है लेकिन हौंसला आज भी एक फौजी परिवार वाला ही है। इस घर का छोटा बेटा मंजीत भी भारतीय सेना में है। परिवार उसे अभी भी फौज में ही देखना चाहता है क्यूंकि विक्रम के सपने को परिवार तोड़ना नही चाहता। बड़े भाई ने ही उसे फौज में जाने के लिए तैयार किया था। विक्रमजीत की माँ की आंखे आज भी विक्रम के वापिस आने का इन्तजार कर रही है। माँ की चाहती है कि देश से आतंकवाद का सफाया हो क्यूंकि यह लोग न जाने कितनी माँ ओ की कोख सुनी कर चुके हैं। विक्रमजीत की माँ कमलेश कौर ने कहा कि पार्टीयां सत्ता में आने से पहले बड़ी बड़ी बाते करती है लेकिन उसके बाद कुछ नही होता। विक्रमजीत की माँ ने सरकार से मांग की कि उसका छोटा बेटा भारतीय फौज में है उसे कहीं नजदीक ड्यूटी दे दी जाए ताकि वो अब परिवार की देखभाल कर सके। उन्होंने कहा वो विक्रम का सपना नही तोड़ेंगी मंजीत को फौज से वापिस बुलवाकर। वो विक्रम को दुःख नही पहुंचाना चाहती।
शहीद की पत्नी :
मात्र 26 की उम्र में लांस नायक विक्रमजीत सिंह देश के दुश्मनों से मुकाबला करते हुए शहीद हो गया। छोटी से उम्र में शहादत पाने वाला लांस नायक विक्रम अपने पीछे दिल को हिला देने वाली भावुक यादें छोड़ गया है। इसी साल 14 जनवरी को विक्रमजीत की शादी हुई थी और वो मॉर्च में छुट्टी काटकर वापिस गया था। उसकी पत्नी हरप्रीत कौर पेट से है जिसकी अक्टूबर में डिलीवरी है। इस खुशी के मौके पर उसे छुट्टी आना था। पर अब ये मनहूस खबर आ गयी। विक्रम की माँ और बीवी आज भी इस दुःख से उभर नही पायी हैं। विक्रम के ताऊ ने बताया कि हरियाणा सरकार ने शहीद परिवार के लिए जो योजनायें बनाई है वो बिलकुल ठीक है लेकिन आतंकवाद देश का सबसे बड़ा दुश्मन है उसे मिटाया जाना चाहिए।
गांव के ज्यादातर युवा फ़ौज में हैं जिससे भी युवाओं में पाकिस्तान की नापाक हरकत से ज्यादा गुस्सा है । अब विक्रमजीत गांव के लिए प्रेरणा बन चुका है । आगे भी युवा इससे प्रेरणा ले इसको लेकर मांग रखी है कि गांव का मुख्य गेट विक्रमजीत के नाम पर हो और उनका स्टेच्यू गांव में लगाया जाए ।
गांव के स्टेडियम का बुरा हाल :
विक्रमजीत जिस गांव से ट्रेन होकर जिस स्टेडियम से दौड़ कर फौज में पहुंचा था आज उसकी हालत दयनीय है। बताया जाता है कि विक्रम जब जब घर आता था तो इसी मैदान में सभी युवाओ को इकट्ठा कर उन्हें ट्रेनिंग दिया करता था। गांव से भारतीय सेना में 250 से ज्यादा जवान फौज में हैं। आज भी सेना में जाने के लिए 50 से ज्यादा युवा प्रेक्टिस व ट्रेनिंग कर रहे हैं। आज भारतीय सेना में 3 नये लडको की सलेक्शन फौज में हुई है। इस मैदान की हालत बारिश में ओर ज्यादा खराब हो चुकी है कीचड़ में ही युवा भाग अपना भविष्य फौज में देख रहे हैं। युवाओ ने सरकार से मांग की है कि इस स्टेडियम की हालत को सुधारा जाये क्यूंकि आज भी इस मैदान से तैयार हो युवा फौज में जाना चाहते हैं। युवाओ ने मांग रखी है कि अंबाला छावनी सिविल हस्पताल का नाम शहीद विक्रमजीत के नाम पर रखा जाए।
हरियाणा के खेल मंत्री अनिल विज कहा कि शहीद के गांव के खेल मैदान को बहुत सुंदर बना दिया जायेगा । यदि गांव के लोग पंचायत में रेयुलेशन डाले तो स्टेडियम का नाम भी विक्रमजीत के नाम किया जा सकता है ।
शहीद के परिवार को मिले 1 करोड़ : विवेक चोधरी
विक्रम के परिवार ने तो सिर्फ़ आतंकवाद को देश से मिटाने की मांग रखी लेकिन वहीँ राजनितिक दल इस शहादत पर 1 करोड़ रूपए कम से कम देने की मांग कर रहे हैं। शहीद विक्रमजीत के परिवार को तिरंगा भेंट करने वाले इनेलो के प्रदेश प्रवक्ता विवेक चोधरी ललाणा ने इस मौके कैबिनेट मंत्री अनिल विज को निशाने पर लेते हुए कहा कि डेरे के लिए भी 50 लाख और शहीदी पर भी इतने ही यह बहुत कम है। उन्होंने कहा गांव के मैदान की हालत बहुत खराब है बड़ी बड़ी घास है कीचड़ है उसकी हालत सुधारी जानी चाहिए। जो मांग सिविल हस्पताल का नाम बदलने की रखी गयी है उसे भी पूरा किया जाना चाहिए।